हाथरस। मंगलवार की मध्यरात्रि पुलिस (Hathras Police) ने हाथरस के चंदपा क्षेत्र के गांव बूलगढ़ी में पीड़िता के शव का परिजनों की अनुमति के बगैर दाह संस्कार (Dah Sanskar) तो कर दिया, लेकिन अब परिजनों का कहना है कि वे तब तक उसकी अस्थियों का विसर्जन (Bone Immersion) नहीं करेंगे, जब तक उन्हें न्याय (Justice) नहीं मिलता है।
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शनिवार को भी दुष्कर्म पीड़िता के परिवार में चूल्हा नहीं जला। परिजनों के अलावा पशु भी चारे के इंतजार में रहे। चंदपा क्षेत्र के गांव बूलगढ़ी निवासी युवती के साथ 14 सितंबर को गांव के ही कुछ युवकों पर गैंगरेप का आरोप है। मारपीट कर युवती को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। घायल पीड़िता को उपचार के लिए पहले बागला संयुक्त अस्पताल और उसके बाद अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था। जहां से गंभीर हालत में उसे अलीगढ़ से दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल रेफर किया गया। 29 सितंबर की सुबह पीड़िता ने दम तोड़ दिया था। 29 सितंबर की रात को पीड़िता का शव गांव लगाया गया था। जहां परिजनों ने पुलिस-प्रशासन पर बिना उनकी अनमुति के शव का दाह संस्कार करने का आरोप लगाया था।
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मृतक के परिजनों ने बिना अनुमति के शव का अंतिम संस्कार करने का आरोप लगाया। परिजनों का कहना है कि अंतिम संस्कार से पहले प्रशासन ने उन्हें बेटी का चेहरा तक नहीं दिखाया। यह शव किसका है, उन्हें नहीं बताया गया। जब हमें यही नहीं पता कि शव किसका है तो अस्थियां क्यों चुने। उनका कहना था कि यह तो पुलिस ही बता सकती है कि किसका शव उन्होंने तेल डालकर जलाया है। इस पर प्रशासन ने परिजनों को समझाया।
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सीएम योगी के निर्देश पर हाथरस पहुंचे अपर प्रमुख गृह सचिव अवनीश अवस्थी और डीजीपी हितेश अवस्थी ने पीड़िता के परजिनों से घटना के बारे में जानकारी ली। अधिकारियों के समझाने बुझाने पर शाम को परिजन अस्थियां लेने के लिए पहुंचे। जहां गम और गुस्से के बीच पीड़िता के भाई ने अस्थियों का संचय किया। इसी बीच उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जबतक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, तब तक वह अस्थियों का गंगाघाट में विसर्जन नहीं करेंगे। चार दिन बाद भी पीड़िता की चिता की राख में मौजूद अस्थियों को गंगा घाट का इंतजार है। जिससे की उन्हें मुक्ति मिल सके।