मेरठ। नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच संघर्ष का दौर जारी है। किसान संगठनों ने इन कानूनों को किसान विरोधी करार दिया है। वहीं, सरकार की मंशा इन कानूनों को वापस लेने की बजाए केवल इसमें संशोधन मात्र करने की है। लेकिन किसानों ने साफ कर दिया है कि कृषि कानूनों की वापसी से कम पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। इस बीच 8 दिसंबर को किसान संगठनों की ओर से घोषित ‘भारत बंद’ को सामाजिक संगठनों का भी साथ मिलता नजर आ रहा है। इस कड़ी में ‘राष्ट्रीय परशुराम सेना’ ने किसानों की इस लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर चलने का ऐलान किया है। इसके साथ ही संगठन ने ‘कृषि कानूनों’ के विरोध में भारत बंद का भी समर्थन किया है।
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राकेश टिकैत को भेजा समर्थन पत्र
राष्ट्रीय परशुराम सेना के अध्यक्ष पंडित उमेश शर्मा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार में देश का किसान त्रस्त है। यही वजह है कि बेबसी का मारा किसान खेत का काम-काज छोड़ सड़क पर आने को मजबूर है। उमेश शर्मा ने कहा कि जिस देश का किसान ही खुशहाल नहीं रह सकता, उस देश का भविष्य कभी उज्ज्वल नहीं हो सकता। श्री शर्मा ने कहा कि उन्होंने कृषि कानून विरोधी इस लड़ाई में किसानों को समर्थन देने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के नाम संगठन की ओर से एक समर्थन पत्र भी भेजा गया है।
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देश का हर वर्ग कहीं न कहीं खेती किसानी की पृष्ठभूमि से जुड़ा
वहीं, जिला संगठन मंत्री ऋषिपाल शर्मा ने कहा कि भारत देश एक कृषि प्रधान देश है। ऐसे में चाहे देश की सीमाओं की रखवाली कर रहे जवान हों या फिर सीमाओं के भीतर रहकर भारत माता सेवा कर रहे डॉक्टर, इंजीनियर, छात्र और अधिकारी समेत देश का हर वर्ग कहीं न कहीं खेती किसानी की पृष्ठभूमि से जुड़ा है। इसलिए सबको अपनी जाति, धर्म से ऊपर उठकर किसानों की लड़ाई में सहयोग करना चाहिए। संगठन मंत्री ने केंद्र सरकार से आह्वान किया है कि वो जल्द से जल्द किसानों की मांगों को पूरा करे।