मेरठ। यूपी में अपना वजूद तलाश रही कांग्रेस ने मिशन 2022 के लिए इस बार बड़ा दाव खेला है। कांग्रेस हाईकमान ने यूपी में न सिर्फ राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का कद और मजबूत किया है, बल्कि भविष्य में ब्राह्मण वोट पर एकाधिकार जमाने के लिए ब्राह्मण नेतृत्व को और पुख्ता किया है। इनमें कमलापति त्रिपाठी, प्रमोद तिवारी, जितिन प्रसाद, राजेश मिश्रा जैसे प्रमुख नेताओं को फ्रंट लाइन पर लाकर ब्राह्मणों समाज के लिए ट्रंप कार्ड खेला है।
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शुक्रवार को यूपी में कांग्रेस को पुरानी मजबूत स्थिति में लाने के लिए हाईकमान ने महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। सांसद प्रमोद तिवारी को पहली बार केंद्रीय कार्यसमिति का स्थायी सदस्य बनाया गया है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी और पूर्व राज्यपाल स्व. रामनरेश यादव के बाद पूर्व सांसद राजेश मिश्रा ही प्रदेश के ऐसे नेता हैं, जिन्हें केंद्रीय चुनाव समिति में स्थान मिला है। यूपी में ब्राह्मणों की सियासत में सक्रिय पूर्व मंत्री जितिन प्रसाद को न सिर्फ केंद्रीय कार्यसमिति का विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है, बल्कि केंद्र शासित प्रदेश अंडमान-निकोबार के साथ ही पश्चिम बंगाल जैसे अहम राज्य के प्रभारी बनाए गए हैं।
कांग्रेस बड़े राज्यों में राष्ट्रीय महासचिव स्तर के पदाधिकारियों को ही प्रभारी बनाती रही है, लेकिन जितिन प्रसाद के मामले में भी कांग्रेस हाईकमान ने नया दाव चला है। यूपी में कांग्रेस के बड़े दलित नेता सांसद पीएल पूनिया, पूर्व मंत्री आरपीएन सिंह, राजीव शुक्ला और विवेक बंसल भी अलग राज्य के प्रभारी बनाए गए हैं। इनमें पूनिया, आरपीएन और राजीव शुक्ला पहले भी प्रभारी रहे हैं, जबकि अलीगढ़ के विवेक बंसल को नई जिम्मेदारी दी गई है। सलमान खुर्शीद सीडब्ल्यूसी के स्थायी सदस्य बने हुए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि नए बदलाव से मिशन 2022 में कांग्रेस को काफी लाभ मिलेगा।
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माना जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान ने यूपी में कांग्रेस वोट बैंक को लेकर ये बदलाव किया है, जिसका उन्हें आने वाले समय में फायदा मिलेगा। यूपी में ब्राह्मणों के खिलाफ हो रही आपराधिक घटनाओं पर कांग्रेस नेता खासी नजर रखे हैं, इनमें जितिन प्रसाद सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। वैसे भी कांग्रेस के इतिहास को देखें तो ब्राह्मणों ने हमेशा ही कांग्रेस को मजबूती दी है। पिछले चुनाव में भाजपा की ओर ब्राह्मण वोट बैंक छिंटक जाने से कांग्रेस को बहुत नुकसान हुआ है।
स्थानयी वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं का कहना है कि चार ब्राह्मण नेताओं का कद मजबूत करके कांग्रेस अपने पुराने सवर्ण वोट बैंक का आधार तय करने जा रही है। इसका निश्चित तौर पर अगले विधान सभा चुनाव में नई तस्वीर देखने को मिलेगी।