लखनऊ। आज जब हमारे लोकतंत्र के चार स्तंभों में से एक ‘कार्यपालिका’ लोगों के बीच अपनी ख्याती खोती जा रही है। ऐसे में उत्तर प्रदेश का एक ऐसा भी अफसर है, जिसने न केवल पर्यावरण संरक्षण का बीड़ा उठा लिया है। बल्कि वह अपनी लोक कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से नौकरशाही की जड़ों को भी सींचने का काम कर रहा है। यह अफसर रोजमर्रा में अपना दफ्तर का काम निपटने के बाद लोगों के बीच निकल जाता है और उनमें पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरुकता लाने का काम करता है। अपनी अनूठी कार्यशैली के कारण लोगों में बेहद लोकप्रिय यह अफसर गांव-गांव घूम कर पर्यावरण चौपाल लगाने वाला यह अफसर लोगों को पौधारोपण का महत्व समझाता है। यहां अब बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में तैनात एक SDM की।
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पौधारोपण की शपथ दिलाकर जमानत
दरअसल, अमरोहा SDM मांगेराम चौहान ने पौधरोपण के माध्यम से जिले में प्रर्यावरण को बचाने की मुहिम चला रखी है। इसी मुहिम के तहत एसडीएम मांगेराम अपनी कोर्ट में आने वाले मारपीट जैसे मामलों में अभियुक्तों और जमानतियों को पौधारोपण की शपथ दिलाकर जमानत दे देते हैं। यही नहीं, उनकी इस पहल से प्ररेरित होकर अब तहसील निवासी व क्षेत्र के लोग भी पौधारोपण व जल संरक्षण जैसे कार्यक्रमों में हिस्सा लेने लगे हैं।
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लोगों को पर्यावरण के महत्व के बारे में बताया
यही वजह है कि जिले की तहसील और मुख्यालय अब पर्यावरण संरक्षण के प्रचार का माध्यम बन गया है। एसडीएम मांगेराम बताते हुए है कि तहसील में पौधारोपण कार्यक्रम की सफलता के बाद इसको ग्राम पंचायत स्तर से जोड़ने का काम किया। गांव-गांव जाकर लोगों को पर्यावरण के महत्व के बारे में बताया गया। उन्होंने बताया कि गांव-गांव पहुंच कर ऐसे युवाओं की टीमें गठित की गई, जो समाज सेवा से जुड़ने का भाव रखते हैं।
1000 युवा पर्यावरण प्रहरियों की मजबूत टीम खड़ी कर दी
इस तरह से लेखपालों, तहसीलकर्मियों व ग्राम प्रधानों के माध्यम से प्रत्येक गांव में पांच-पांच युवाओं की टीमें बनाई गईं और इस तरह से तहसील नौगांवा सादात में ही 1000 युवा पर्यावरण प्रहरियों की मजबूत टीम खड़ी कर दी गई। मांगेराम ने बताया कि शुरुआती दौर में इन लोगों को खुद के खर्चे पर ही पेड़ लगाने की समाजिक जिम्मेदारी दी गई।
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पर्यावरण के प्रति एक आम समझ पैदा हुई
फिर इनके माध्यम से गांवों में वृक्षारोपण और जल संरक्षण अभियान चलाया गया। जिसका परिणाम यह हुआ है कि गांव वालों में पर्यावरण के प्रति एक आम समझ पैदा हुई और वो पौधारोपरण कार्यक्रम से जुड़ने लगे।